hindisamay head


अ+ अ-

कविता

पूर्वकथन

महेश वर्मा


संज्ञाओं, परिभाषाओं और उपमाओं पर विश्वास न करता हुआ
खालीपन हूँ चीज़ों के बीच छूटा हुआ

वृक्ष, हवा और यौनिकता एक धोखा है
समझे हुए हूँ यह बात
कामनाओं से अंधा होने के पहले वाले दिन से

नफ़रत से लिथड़ी एक ग़ाली
एक कुत्ते वाला पट्टा
काठ का एक प्रतीकात्मक देवदूत
एक फूल जो भोंडे ढंग से बताएगा प्यार
इन सब को प्यार से चूमता हूँ
या नहीं चूमता
इन पर थूकता हूँ या नहीं थूकता
मेरे मुँह ही नहीं है - लार भी नहीं

भाषा को जोड़ो क़तरा-क़तरा
आवाज़ों और आँसुओं को ध्यान में रखकर
या उलट-पुलट दो इस बेतुकेपन को
बेतुकेपन के लिए और...
और ध्यान रखो इससे तैयार न हो जाए कोई संयोजन
या मत रखो ध्यान

तुक और बेतुकेपन पर आस्था रखता हुआ
मैं आस्था को नहीं जानता ठीक से
जानने को नहीं जानता
पुनरावृत्ति को भी नहीं समय के भीतर

मैं खाली जगह भीतर से भरा हुआ और संदिग्ध
मुझको ग़ाली दो

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में महेश वर्मा की रचनाएँ